सम्मान का मोल: दिल्ली के बच्चों की एक मजेदार कहानी

सम्मान का मोल: - दिल्ली की चमचमाती सड़कों का माहौल था हाईटेक गाड़ियां, मेट्रो की रफ्तार, और हर तरफ टेक्नोलॉजी की चमक थी। इसी दिल्ली के एक हाईराइज अपार्टमेंट में रहते थे 10 साल के रॉनी और उसकी छोटी बहन मिया।

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सम्मान का मोल: - दिल्ली की चमचमाती सड़कों का माहौल था हाईटेक गाड़ियां, मेट्रो की रफ्तार, और हर तरफ टेक्नोलॉजी की चमक थी। इसी दिल्ली के एक हाईराइज अपार्टमेंट में रहते थे 10 साल के रॉनी और उसकी छोटी बहन मिया। रॉनी और मिया को स्कूल से छुट्टी मिली थी, और दोनों पार्क में खेलने गए। पार्क में एक बड़ा सा झूला था, जिस पर रॉनी सबसे ज्यादा समय बिताता था। लेकिन आज पार्क में कुछ नया होने वाला था, जो उनकी जिंदगी में एक बड़ा सबक सिखाने वाला था।

पार्क में हंगामा

पार्क में रॉनी झूले पर चढ़ा ही था कि एक दूसरा बच्चा, जो शायद नया था, आया और बोला, "ए, ये मेरा झूला है। मैं पहले आया था, तुम हटो!" रॉनी को गुस्सा आ गया। उसने कहा, "नहीं, मैं पहले से हूं। तुम जाओ!" मिया पास में खड़ी थी और उसने बड़े भाई को समझाया, "भैया, पहले पूछ तो लो, शायद वो सच कह रहा हो।" लेकिन रॉनी ने मिया की बात नहीं मानी। वो नए बच्चे से बहस करने लगा। 
वो नया बच्चा, जिसका नाम था आरव, गुस्से में बोला, "तुम्हें क्या लगता है, तुम बड़े हो तो सब तुम्हारा ही होगा? मैंने पहले झूले को देखा था।" रॉनी ने जवाब दिया, "तो क्या हुआ? मैं पहले चढ़ गया, तो मेरा हक है।" दोनों की बहस बढ़ती जा रही थी। तभी पार्क का माली काका, जो पास में पौधों को पानी दे रहे थे, वहां आ गए। 

माली काका की समझदारी

माली काका ने दोनों को देखा और मुस्कुराते हुए पूछा, "अरे, क्या हुआ मेरे शेरों? क्यों लड़ रहे हो?" रॉनी ने तुरंत कहा, "काका, ये लड़का मुझसे मेरा झूला छीन रहा है। मैं पहले आया था।" आरव ने भी अपनी बात रखी, "काका, मैंने पहले झूले को देखा था, लेकिन ये हट ही नहीं रहा।" मिया ने भी चुपके से कहा, "काका, दोनों को शेयर करना चाहिए ना?" 
माली काका ने मिया की बात सुनी और हंसते हुए बोले, "बिल्कुल सही कहा मिया बेटी ने। लेकिन मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं, फिर तुम्हें खुद समझ आ जाएगा कि क्या सही है।" दोनों बच्चे चुप हो गए और माली काका की बात सुनने लगे।

माली काका की कहानी

माली काका ने कहा, "देखो, कुछ साल पहले इस पार्क में एक बड़ा सा पेड़ था। उस पेड़ पर दो चिड़िया रहती थीं—चिंकी और मिंकी। दोनों को एक ही डाल पसंद थी, क्योंकि वहां से सारा पार्क दिखता था। एक दिन दोनों में लड़ाई हो गई। चिंकी बोली, 'मैंने पहले ये डाल देखी थी, ये मेरी है।' मिंकी बोली, 'मैं पहले इस पर बैठी थी, तो मेरा हक है।' दोनों दिन भर लड़ती रहीं। आखिर में क्या हुआ? एक बाज आया और उसने डाल पर कब्जा कर लिया। दोनों चिड़िया डरकर भाग गईं। अब बताओ, डाल किसके पास रही?" 
रॉनी और आरव एक साथ बोले, "बाज के पास!" माली काका हंसे और बोले, "हां, क्योंकि दोनों ने एक-दूसरे का सम्मान नहीं किया। अगर वो साथ बैठतीं, तो बाज को मौका ही नहीं मिलता। सम्मान का मोल समझो, बेटा। जो चीजें हम शेयर करते हैं, वो ज्यादा खुशी देती हैं।"

सम्मान का सबक

रॉनी और आरव को बात समझ आ गई। रॉनी ने कहा, "ठीक है, आरव। चलो, हम दोनों बारी-बारी झूले पर खेलते हैं। पहले तुम, फिर मैं।" आरव खुश हो गया और बोला, "वाह, ये तो मजेदार रहेगा। थैंक्यू, रॉनी!" मिया ने ताली बजाई और कहा, "मेरे भैया सबसे अच्छे हैं!" 
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उस दिन के बाद रॉनी और आरव अच्छे दोस्त बन गए। दोनों ने न सिर्फ झूला शेयर किया, बल्कि पार्क के बाकी बच्चों को भी सम्मान देना सीख लिया। दिल्ली का वो पार्क अब पहले से ज्यादा खुशहाल हो गया, क्योंकि वहां के बच्चे समझ गए कि सम्मान देना कितना जरूरी है। 

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। जो चीजें हम शेयर करते हैं, वो हमें ज्यादा खुशी देती हैं। सम्मान का मोल समझो, क्योंकि ये रिश्तों को मजबूत बनाता है। 
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